
Jaipurworldheritage.com- राजस्थान को श्रेय देते हुए द्रोणा की एक पहल
20वीं शताब्दी का विशिष्ट वास्तुशिल्प विवरणचौपड़जैसा कि पहले बताया गया है कि पूर्व-पश्चिम अक्ष तीन चौपड़ों से होकर गुजरती है, जो जयपुर शहर के आगे उपखंड़ और संरचना के केंद्रों और उप केंद्रों के रूप में काम करती है। प्रमुख दरबारियों और व्यापारियों की सभी महत्वपूर्ण हवेलियों और महत्वपूर्ण मंदिरों को इन चौपड़ों पर अक्ष के साथ स्थापित किया गया। शहर का मुख्य सार्वजनिक चौक बड़ी चौपड़ (माणक चौक) था। पश्चिम में उत्तर-दक्षिण अक्ष के समानांतर एक सड़क ने दूसरा वर्ग बनाया, जिसे छोटी चौपड़ या अंबर चौक कहा जाता है और प्रभावी रूप से शहर के केंद्र में पैलेस कॉम्पलेक्स को स्थापित किया। पूर्वी तरफ एक अन्य समानांतर सड़क ने रामगंज चौपड़ या राम चौक नामक तीसरा सार्वजनिक चौक बनाया।

19वीं सदी के अंत में बड़ी चौपड़ का दृष्य
स्जयपुर का मुख्य बाजार क्षेत्र विरासत भवनों और नए विकास का मिश्रण है। क्षेत्र की ऐतिहासिक विशेषता में पारंपरिक प्रवेश द्वार वाली हवेलियां, प्राचीन सामग्रियों और रंगों के पारंपरिक उपयोग के साथ औपनिवेशिक वास्तुला सम्मिश्रण, दरवाजे, खिड़कियां, पेरापेट, रेलिंग, दरवाजे और खिड़कियों पर जटिल वास्तुशिल्प कलाकृतियां शामिल है। मुख्य बाजार परिसर चारदीवारी वाले शहर के भीतर हैं। शहर के मूल बाजारों में किशनपोल बाजार, गणगौरी बाजार, जौहरी बाजार, सिरह ड््योढ़ी बाजार, मुख्य उत्तर-दक्षिणी और पूर्व-पश्चिमी अक्ष के साथ बड़ी चौपड़ और छोटी चौपड़ शामिल हैं। बाजारों में गली की विशिष्ट वास्तुशिल्प विशेषताओं में छज्जों (सनशेड) का उपयोग होता है, जिसके परिणामस्वरूप मजबूत होरिजोंटल लाइन बनती है। ब्रेकेट्स पर वर्टिकल ब्लॉक्स बनाकर उनमें नाजुक जालीदार स्क्रीन से भरे मेहराबों की एक माड्यूलर प्रणाली होती है, जो सड़क पर सूर्य और परावर्तित सूर्य की चकाचौंध को काटती है।

1910 में एक बाज़ार स्ट्रीट का दृश्
सिरह ड््योढ़ी बाजार, जयपुर के मूल रूप से नियोजित चार बाजारों में से एक है, जो बड़ी चौपड़ से सिरह ड््योढ़ी गेट तक जाता है और उत्तर की ओर आम्बेर तक फैला हुआ है। वॉलसिटी की कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संरचनाएं इसके स्काईलाइन का हिसा हैं, जैसे हवा महल, पश्चिम की ओर सवाई मान सिंह टाउन हॉल और महाराजा कॉलेज, पूर्व की ओर हवा महल के सामने एक बड़े मंदिर की इमारत में स्थित है। यह बाजार 108 फुट की दूरी तक वॉल सिटी में शायद सबसे खूबसूरत स्काईलाइनों में से एक है। सिरह ड््योढ़ी की विशिष्ट स्थापत्य विशेषताओं में राजपूत-मुगल डेटलाइन, छज्जों पर पत्थर की रेलिंग के साथ अग्रभाग और गली में परावर्तित सूर्य की सीधी धूप और चकाचौंध को काटने के लिए नाजुक जालीदार स्क्रीन से भरे मेहराबों की एक मॉड्यूलर प्रणाली शामिल है। हवा महल और सवाई मान सिंह टाउन हॉल के पास की दुकानें प्राचीन वस्तुओं और जयपुरी रजाई में डील करती हैं। वर्तमान में बाजार का एक बड़ा हिस्सा जंतर-मंतर के बफर जोन क्षेत्र में आता है, इसलिए सड़क के समग्र संरक्षण और पुनरोद्धार के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

1875 में सिरह ड््योढ़ी बाजार का दृश्य, स्त्रोत: बॉर्न और शेपर्ड

सिरह ड््योढ़ी बाजार की विस्तृत ऊंचाई, स्त्रोत : द्रोणा
'त्रिपोलिया बाजार वॉल सिटी का केंद्रीय हिस्सा है, जो छोटी चौपड़ से पूर्व-पश्चिम में बड़ी चौपड़ तक फैला हुआ है। यह शहर के महल क्षेत्र के किनारे का निर्माण कहलाता है और चारदीवारी वाले शहर की कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संरचनाएं इसके स्काईलाइन का हिस्सा हैं, जैसे कि ईसर लाट और जंतर-मंतर का दूर का दृष्य। बाजार का नाम त्रिपोलिया गेट के नाम पर रखा गया है, जो निजी स्वामित्व के तौर पर है और जुलूस व अन्य महत्वपूर्ण अवसरों के लिए शाही परिवार के उपयोग के लिए प्रतिबंधित है। कई महत्वपूर्ण स्मारकों के निकट होने के कारण त्रिपोलिया बाजार कम से कम विनियोजित बाजारों में से एक है। इसमें भूतल के ऊपर मूल पैरापेट दीवारों के बड़े हिस्से शामिल हैं, जिन्हें दूसरे उपयोग के लिए बनाया गया है। इस सड़क पर कई औपनिवेशिक और आर्ट-डेको इमारतों को अभी भी देखा जा सकता है। यहां बड़े आंगन की हवेली से लेकर हवेली मंदिरों जैसी इमारतें है, जो सार्वजनिक भवनों से भिन्न होते हैं। त्रिपोलिया बाजार का दृश्य, स्त्रोत: बॉर्न और शेपर्डत्रिपोलिया बाजार की विस्तृत ऊंचाई, स्त्रोत : द्रोणा.किशनपोल बाजारकिशनपोल बाजार अजमेरी गेट के दक्षिणी छोर से छोटी चौपड़ के उत्तरी छोर तक फैला हुआ है। इसमें इमारतों के विभिन्न पैमाने और प्रकार शामिल है, जिनमें से कई खराब स्थिति में हैं या बड़े पैमाने पर उनमें परिवर्तन किए गए हैं।
चांदपोल बाजार चांदपोल बाजार वॉल सिटी के पश्चिमी हिस्से में फैला हुआ है, जो चांदपोल गेट से पूर्व में छोटी चौपड़ तक है। इसके बाद त्रिपोलिया बाजार आ जाता है। यह उत्तर की ओर पुरानी बस्ती और दक्षिण में तोपखाना देश से घिरा है। चांदपोल की इमारतें वॉल सिटी के अन्य बाजारों की तरह पैमाने और टाइपोलॉजी में भिन्न हैं। इसमें सीढ़ीदार प्रवेशद्वार और विस्तृत जाली और छतरियों के साथ विशिष्ट मंदिर हैं, बड़े आंगन वाली हवेलियां आर आरसीसी में कई नई संरचनाएं हैं। इन भवनों में साधारण फसाड़ है। भूतल पर दुकानों के सामने फैला हुआ निरंतर बरामदा वास्तविक संरचनाओं में भिन्नता के बावजूद बाजार को एकजुट करता है। कई इमारतें अनुपयुक्त परिवर्धन और संशोधनों के साथ आंशिक रूप से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है।
घाट गेट बाजार रामगंज चौपड़ से उत्तरी छोर से शरू होकर घाट गेट की ओर दक्षिण की ओर बढ़ते हुए घाट गेट बाजार है। इसके शुरूआत में एक 19वीं शैलनी की इमारत है, जिसमें मेहराब, छज्जे और छोटे दरवाजे हैं, यह इमारत अब बैंक के रूप में उपयोग होती है। राजपूत-औपनिवेशिक, मुगल-राजपूत, आर्ट डेको, आरसीसी और कांच निर्माण जैसी स्थापत्य शैली का यहां मिश्रण दिखाई देता है। कई इमारतें अवैध निर्माण के साथ जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। बाजार के पूरे हिस्से में अस्थाई शेड दिखाई दे रहे हैं। बाजार में मस्जिद बहलोल खान जैसी कुछ धार्मिक इमारतें है, जिनका अग्रभाग लाल बलुआ पत्थर के उपयोग से बनाया गया है और यहां प्रत्येक मंजिल पर बरामदे से बहुस्तरीय मेहराब और अग्रभाग के दोनों किनारों पर मीनारें है। दूसरी मस्जिद अहंगरान है। हाल ही में एक नई मस्जिद बनाई गई है, जिसका फसाड पुरानी मस्जिदों के समान है और यहां दो मीनारें और चित्रित मेहराब बने हुए हैं। बाजार में एक अन्य धार्मिक स्थल ठाकुर श्री राम कंवरजी मंदिर है। यह एक राजपूत-मुगल मंदिर हवेली शैली की संरचना है, जिसमें अब बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण किया गया है।
सुभाष चौक बाजार उत्तर में मंदिर श्री काले हनुमानजी से शुरू होकर सुभाष चौक पर समाप्त होता है, जो हवेली मंदिर संरचना की पहली इमारत है और इसके दरवाजे धनुषकार हैं। यह बाजार आम्बेर के सबसे नजदीक है और वॉल सिटी के उत्तरी किनारे पर है। इस बाजार की अलग ही विशेषता है, जहां राजपूत-मुगल शैली की संरचनाएं अभी भी मौजूद है, लेकिन मरम्मत के अभाव में खराब स्थिति में है। यहा अलग-अलग ऊंचाई पर दुकानें बनी है, दुकानों का विवरण भी ऊंचा-नीचा है। बड़े-बड़े होर्डिंग्स पूरे रास्ते में देखे जा सकते हैं। यह बाजार अभी भी मूल स्वरूप में दिखाई देता है, क्योंकि बीसवीं सदी में यहां दुकानों के आगे बरामदे नहीं बनाए गए, दूसरी ओर यहां दुकानों का मूल स्वरूप इसलिए भी दिखाई देता है, क्योंकि यहां अवैध निर्माणों का हस्तक्षेप कम हुआ है। कुछ अदभुत इमारत संरचनाएं, जो अन्य बाजारों में नहीं दिखाई देती, यहां अभी भी देखी जा सकती है। विशेष रूप से राजपूत-मुगल शैली की इमारतें अभी भी यहां स्पष्ट दिखाई देती है।
नागरिकों की सेवा के लिए निर्माण
यूनेस्को शिल्प एवं लोक कला का रचनात्मक शहर : 2015 | यूनेस्को विश्व धरोहर शहर: 2019