
Jaipurworldheritage.com- राजस्थान को श्रेय देते हुए द्रोणा की एक पहल
18वीं शताब्दी की शुरूआत में जयपुर की स्थापना के बाद से ही यह एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल रहा है और इसकी बसावट ने कई विदेशी यात्रियों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और शहरी योजनाकारों को आकर्षित किया है। स्वतंत्रता के बाद के परिदृष्य में इन कारणों ने इस ऐतिहासिक शहर के संरक्षण और जीविका पर ज्यादा दबाव डाला है। हालांकि, विरासत संरक्षण में पिछले 2 दशकों में किए गए काम, 2001 में राष्ट्रपति क्लिंटन और 2006 में प्रिंस चार्ल्स जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की यात्राओं के साथ-साथ भारत सरकार के केंद्रीय शहरी नवीकरण प्रोत्साहनों ने चारदीवारी के संरक्षण में स्थानीय प्रशासन की रुचि को पुनर्जीवित करने का हाल ही में ट्रेंड सैट किया है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय सरकारी अधिकारियों द्वारा 2001 से कई संरक्षण पहल की गई है। वॉल सिटी में संरक्षण होने के बाद प्राचीन संरचनाएं अच्छी स्थिति में है और कुल मिलाकर शहर का मूल रूप उसके दरवाजों, दीवारों, प्रमुख प्रतिष्ठित स्मारकों और बाजारों के साथ अपने मूल आकार में बना हुआ है। नामांकित संपत्ति के संरक्षण की एक घटकवार स्थिति नीचे प्रस्तुत की गई है:
वॉल सिटी बाज़ार-नामांकित संपत्ति में मुख्य सड़कों पर 12 प्रमुख बाजार हैं, जो जयपुर की शहरी शब्दावली को परिभाषित करते हैं। जयपुर नगर निगम बाजारों (भूतल पर दुकानों की पंक्ति के साथ) यहां चूने से बनाए गए 'गुलाबी रंग' को बनाए रखने और मानकीकृत चित्रित साइनेज की देखरेख करता है। निगम निजी स्वामित्व वाली इमारतों बाजार के साथ मंदिर हवेलियों को भी नियंत्रित करता है ताकि इनकी मुख्य वास्तुशिल्प विशेषताओं में कोई बदलाव नहीं हो। 2007 के बाद से ही सभी 12 बाजारों के मूल स्वरूप को बनाए रखा गया है, हालांकि इससे पहले की संरचनाओं में कुछ बदलाव हुए हैं। तीन बाजार अर्थात चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया और जौहरी बाजार में संरक्षण की स्थिति अच्छी है, क्योंकि इन बाजारों के साथ सभी भवनों के अग्रभागों के संरक्षण के लिए 2009-13 से एक प्रमुख संरक्षण परियोजना शुरू की गई थी। इसके साथ ही संरचनात्मक मुद्दों को दर्शाने वाले भवनों का समेकन भी किया गया और विशिष्ट हवेलियों के अग्रभागों पर विशेष कलाकृति संरक्षण किया गया। इस काम को सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में मान्यता दी गई और भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया। अप्रेल 2016 से स्मार्ट सिटी योजना के तहत जयपुर नगर निगम और जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा शेष 9 बाजारों के संरक्षण के लिए इसी तरह की प्रक्रिया चल रही है।
हवा महल - जयपुर का सबसे प्रतिष्ठित स्मारक होने और शहर की पहचान के साथ जुडा होने के नाते इसे राजस्थान के पुरातत्व विभाग द्वारा अच्छी तरह से रख-रखाव किया जाता है। एक विस्तृत संरक्षण योजना के तहत 2006-07 में इसका सावधानीपूर्वक संरक्षण किया गया और अंदर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। कई टूटी हुई चूने की जालियों को संरक्षित किया गया था और जयपुर के उस्ताद कारीगरों द्वारा गायब हुई जालियों को उसी पैटर्न में बदल दिया गया था। यहां तक कि इसी समय पर 'जयपुर पिंक लाइमवॉश'भी कई रंगों के नमूनों की परख के बाद अंतिम लाइमवॉश शेड तय करने के लिए स्थापित किया गया था। जयपुर की वॉलसिटी में अब सभ संरक्षण कार्यों में एक ही शेड का प्रयोग किया जा रहा है। तब से हवा महल संरक्षण की एक अच्छी स्थिति में रहा है और हाल ही में मूल संरक्षण योजना के अनुसार इसे संग्रहालय स्थान के रूप में पुन: उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है
जंतर-मंतर-2010 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित होने के बाद जयपुर के जंतर-मंतर और इसकी संपत्ति, बफर जोन को इसकी प्रबंधन योजना, माध्यमिक योजनाओं में निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार संरक्षित और रख-रखाव किया जा रहा है। नामित होने के बाद यहां एक व्याख्यान केंद्र खोला गया है, इसके संपत्ति क्षेत्र और बफर जोन में नए संकेत और सुविधाएं स्थापित की गई हैं और खगोलीय विशेषज्ञों द्वारा खगोलीय उपकरणों की नियमित रीडिंग को उनके उचित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए रिकार्ड किया जा रहा है।
सिटी पैलेस परिसर-सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय सिटी पैलेस में स्थित है, जिसका प्रबंधन यहां का रॉयल ट्रस्ट करता है। जयपुर की रॉयल फैमिली भी इसी पैलेस में रहती है। रॉयल परिवार के निजी स्वामित्व के इस क्षेत्र का रख-रखाव बहुत अच्छी तरह से किया जाता है और महल परिसर के अंदर संग्रहालय की गतिविधियों के निरंतर विस्तार के साथ संरक्षण की उत्कृष्ट स्थिति है। महल परिसर में किसी भी कार्ययोजना और उसके नष्पादन में सरक्षण और संग्रहालय विशेषज्ञों की रॉयल ट्रस्ट की एक अलग टीम है।
सवाई मान सिंह टाउन हॉल- 19वीं सदी के मध्य से मौजूद इस स्मारक को तीन दशक पहले तक टाउन हॉल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसे वर्ष 2012-13 में संरक्षित किया गया था और इस इमारत में जयपुर का सिटी म्यूजियम प्रस्तावित है। वर्तमान में इसके विकास के लिए एक प्लान जयपुर स्मार्ट सिटी के तहत एक योजना तैयार है। इमारत संरक्षण की अच्छी स्थिति में है और आंतरिक कार्य अभी किए जा रहे हैं।
जलेब चौक- जयपुर में मुख्य केंद्रीय सार्वजनिक चौक के रूप में, यह सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। इस खुले स्थान के आस-पास की प्राचीन संरचनाओं को वर्ष 2006-08 में संरक्षित किया गया था, क्योंकि वे जीर्ण-शीर्ण हो रही थीं। वर्तमान में इस चौक के चारों ओर सभी संरचनाएं और मुख द्वार का संरक्षण अच्छी स्थिति में है, जबकि केंद्रीय स्थान को स्थानीय शिल्प कौशल और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए एक ग्लोबल आर्ट स्क्वायर बनाने की योजना बनाई गई है।
सिटी गेट- जयपुर के परकोटे में बने सभी सिटी गेट संरक्षण की बहुत अच्छी स्थिति में है, क्योंकि इनपर जयपुर नगर निगम द्वारा नियमित रूप से समय-समय पर मरम्मत, लाइमवॉश और लाइम पेंटिंग की जाती है।
मंदिर और धार्मिक भवन- केंद्रीय जलाशय तालकटोरा से सटा गोविंद देवजी मंदिर जयपुर शहर का प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर सभी मूल कलाकृतियों के साथ संरक्षण की बहुत अच्छी स्थिति में है और एक निजी ट्रस्ट की ओर से इसका रख-रखाव किया जाता है। जयपुर नगर निगम द्वारा मंदिर की गतिविधियों और आगंतुकों की सुविधा के लिए आस-पास के सभी क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है। मुख्य चौपड़ों और बाजारों के साथ-साथ विभिन्न चौकडिय़ों के अंदर अन्य धार्मिक मंदिर विभिन्न निजी ट्रस्टों द्वारा संरक्षित किए जाते हैं और यह भी अच्छी स्थिति में है। वर्ष 2009 के बाद से बाजार के साथ-साथ केंद्रीय चौकड़ी और चौकड़ी मोदीखाना क्षेत्र में अधिकांश मंदिरों में संरक्षण कार्य किए गए हैं, जिसमें उनके अग्रभाग पर कलाकृति संरक्षण भी शामिल है।
हवेलियां और मकान- अधिकांश निजी स्वामित्व वाली प्राचीन संरचनाएं उनके स्थापत्य विशेषताओं और कलाकृतियों के साथ संरक्षण की अच्छी स्थिति में है। यह सभी भवन नगर पालिका अधिनियम-1971 और वास्तुकला नियंत्रण दिशा-निर्देशों से बंधे हैं, इसलिए वे अपने मूल रूप और आकार को बनाए रखे हुए हैं और इस प्रकार जयपुर के सम्पूर्ण शहरी विशेषताओं को बनाए रखा जा सकता है।
जल संरचनाएं- केंद्रीय जलाशय तालकटोरा का रख-रखाव अच्छी तरह से किया जा रहा है और चारबाग अवधारणा के तहत जलाशय को उनके मूल स्वरूप और परिवेश को बरकरार रखा गया है। जयपुर की अन्य भूमिगत ऐतिहासिक जल प्रणालियां अपना महत्व खो चुकी है। इसके तहत चौपड़ से भीतरी गलियों और कुओं तक नहरें जाती थीं। एक केंद्रीय नहर सभी चौपड़ों के जलकुंडों को जोड़ती थी, लेकिन 19वीं शताब्दी के अंत में जब शहर में पाइप से पानी की आपूर्ति शुरू की गई, तब वे बंद हो गई थी।
जयपुर विश्व धरोहर शहर के संरक्षण और प्रबंधन पर जोर देने वाली मौजूदा योजनाएं।
1. जयपुर मास्टर प्लान 2025 (खंड 2)
जयपुर का मास्टर प्लान शहर की प्राथमिक विकास योजना है, जिसके तहत वॉल सिटी के पुराने जयपुर के आवासीय क्षेत्र में भूमि उपयोग को विशेष उपनियमों के साथ वर्गीकृत करता है, जो फ्लोर स्पेस इंडेक्स को प्रतिबंधित करते हैं और इमारतों की ऊंचाई को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, उपनियम वॉल सिटी वाले शहर और विरासत भवनों में निर्माण गतिविधियों को प्रतिबंधित या नियंत्रित करते हैं। इन उपनियमों में शामिल है:. सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना किसी भी भवन के निर्माण, पुनर्निर्माण, परिवर्धन या परिवर्तन की अनुमति नहीं।. खुले स्थानों या टैंकों के ऊपर भवनों के निर्माण पर रोक लगाना।. बिल्डिंग लाइन, कॉर्नर बिल्डिंग, ड्रेनेज, प्लिंथ, चिमनी, सर्विसेज, कमरों के लिए न्यूनतम क्षेत्र, कमरों की ऊंचाई और बिल्डिंग आदि को रेगुलेट करना।सरकार द्वारा बनाया गया हेरिटेज सेल भी सूचीबद्ध विरासत क्षेत्र, परिसर और संरचनाओं के लिए इन उपनियमों को संशोधित और मजबूत करने की प्रक्रिया में शामिल है।
2. विरासत प्रबंधन योजना-जयपुर
जयपुर के वॉल सिटी के लिए शहरी नवीनीकरण प्रस्ताव (2009-14)जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के तहत 2009-14 के बीच जयपुर के मुख्य बाजारों के लिए विशिष्ट शहरी नवीनीकरण प्रस्तावों को भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आंशिक रूप से वित्त पोषित किया गया था। इसके अलावा, शहर के लिए एक व्यापक मोबिलिटी प्लान तैयार किया गया, जिसने नामित संपत्ति में पार्किंग क्षेत्र के साथ शहर में मेट्रो प्रणाली की आवश्यकता बताई। नवीनीकरण प्रस्तावों के तहत तीन प्रमुख बाजारों में संरक्षण कार्य, भीतरी गली क्षेत्र में एक हेरिटेज वॉक, प्रमुख बाजारों की गली और फुटपाथों का उन्नयन और नामित संपत्ति क्षेत्र में एक भूमिगत मेट्रो लाइन की शुरूआत इस प्रस्ताव के तहत किए गए कुछ प्रमुख कार्य थे, जो आंशिक रूप से किए गए।
3. जयपुर स्मार्ट सिटी योजना 2016
भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय (एमओयूडी) के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जयपुर को 100 स्मार्ट शहरों में चुना गया है। इस योजना के अनुसार शहर को स्मार्ट बनाने के लिए अपने नागरिकों से परामर्श करके अपने स्वयं के मानदंड तय करते हुए एरिया बेस्ड प्लान को समाहित करते हुए एक विजन प्लान को तैयार करना था। इनमें से कुछ शहरों के नागरिकों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया और मतदान किया। जयपुर में नागरिकों ने वॉल सिटी के नामित क्षेत्र के लिए एक विरासत योजना के लिए मतदान किया। स्मार्ट सिटी योजनाओं अंतिम चयन में शहरी विकास मंत्रालय ने जयपुर के स्मार्ट सिटी क्षेत्र के लिए विरासत पर्यटन विजन योजना को 100 शहरों की सूची में तीसरा स्थान दिया। यह योजना वर्तमान में 2016 से लागू है और यह नामांकित क्षेत्र में शहरी संरक्षण और अनुकूल पुन: उपयोग कार्यों को उसी तरह से करने पर केंद्रित है, जैसा कि शहर की पिछली योजनाओं में उल्लेखित है। क्षेत्र आधारित विकास जिसमें बड़ी चौपड़ और छोटी चौपड़ से दक्षिण दिशा में निकलने वाली दोनों सड़कों के बीच स्थित वॉल सिटी का क्षेत्र शामिल है। बफर जोन में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय को शामिल किया गया। इसके तहत विशेष रूप से (ए)नामित क्षेत्र में सतत गतिशीलता कॉरिडोर, (बी)विरासत और पर्यटन संपत्ति क्षेत्र में 9 बाजारों का संरक्षण, जलेब चौक जैसे केंद्रीय क्षेत्रों का संरक्षण और अनुकूली पुन: उपयोग, (सी) स्मार्ट सिविक इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
नागरिकों की सेवा के लिए निर्माण
यूनेस्को शिल्प एवं लोक कला का रचनात्मक शहर : 2015 | यूनेस्को विश्व धरोहर शहर: 2019